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Product Description

 शरीर का एकएक पुर्जा, जो उसने चाकू, छुरे से काटा था, एक एक उसकी ओर बढ़ रहा था ! ये शरीर बाहर से कितना सूंदर दिखता है ! और अंदर भगवान ने क्या क्या भरके रखा है, पता नहीं ! वो भी इतना घिनौना ! 

    अचानक आतों की माला उसके गले में आकर पड़ी ! और वो किसि जानवर की तरह चिल्लाने लगा ! लेकिन उसकी ओर ध्यान देनेवाला कोई नहीं था ! उसने गले में से वो गंधा बदबूदार पदार्थ निकाल के फेकने की कोशिश की लेकिन उसके हाथ कुछ लगा नहीं !

    तभी सामने से एक स्त्री का सर उसकी ओर बढ़ने लगा। 

" वंदिता ? " वो पागल की तरह बड़बड़ाने लगा। 

" तुम ? तुम यहाँ क्या कर रही हो ? मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दो ? " 

  

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